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बुद्धम शरणं गच्छामि……………. Kavi Deepak Sharma

Sachchi Baat Kahi Thi Maine
Sachchi Baat Kahi Thi Maine
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बुद्धम शरणं गच्छामि…………….
दो पल सुख से सोना चाहे पर नींद नही पल को आए
जी मचले हैं बेचैनी से ,रूह ना जाने क्यों अकुलाए
ज्वाला सी जलती हैं तन मे ,उम्मीद हो रही हंगामी …..
बुद्धम शरणं गच्छामि…………….

मन कहता हैं सब छोड़ दूँ मैं पर कैसे छुटेगा यह
लालच रोज़ बदता जाता हैं ,लगती दरिया सी तपती रेत
एक पूरी होती एक अभिलाषा ,खुद पैदा हो जाती आगामी……
बुद्धम शरणं गच्छामि…………….

नयनो मे शूल से चुभते हैं, सपने जो अब तक कुवारें हैं
कण से छोटा हैं ये जीवन और कर थामे सागर हमारे हैं
पागल सी घूमती रहती इस चाहत मे जिन्दगी बे-नामी……..
बुद्धम शरणं गच्छामि…………….

ईश्वर हर लो मन से सारी, मोह माया जैसी बीमारी
लालच को दे दो एक कफ़न ,ईर्ष्या को बेबा की साडी
मैं चाहूँ बस मानव बनना ,मांगू कंठी हरि नामी ….

बुद्धम शरणं गच्छामि…………….

@कवि दीपक शर्मा
Deepak Sharma
http://kavideepaksharma.com

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