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Father’s Day…..Ghazal By Deepak Sharma

Sachchi Baat Kahi Thi Maine
Sachchi Baat Kahi Thi Maine
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साये में    हमने  आपके  अब्बा  ना क्या  क्या  देखा ,
रहे  दूर  हम  तपिश  से , सिर  साया  हमेशा  देखा ।
 
महफूज़  हो  गयी  ज़ीस्त ,  जब  जब  भी  तुमने   थामा ,
गोदी  में  आ  तुम्हारी  खौफ  को  भी  डरा  सा  देखा।
 
सही  तो   ज़रूर  होंगी  कभी  तकलीफ “औ ”  परेशानी   ,
 पर  अब्बा  को  जब  भी  देखा  हमने  हंसा  सा  देखा .
 
देखा  तो  नहीं  खुदा  को  पर  अब्बा ही  जैसा  होगा ,
जब  भी  बीमार  हुए  हम   सिरहाने  जगा  सा  देखा।
 
आँखों  की  सुखियों  में  हिदायतें  बोलती  थी,
 गलती  समझ  में  आई  जो  तुमने ज़रा सा  देखा।
 
जब  जब  अँधेरा  छाया  तुम  सूरज  बनकर  आये,
सब  रस्ते  हुए  जहाँ  बंद, एक  रस्ता  नया  सा  देखा।
 
तुम  जीना  सिर  उठाकर  चाहेlकैसी  भी  मुश्किल  आये
,बैगैरत  जीने  वाला , दुनिया  में  दबा  सा  देखा।
 
“दीपक ”हज़ारों  बारी  चाह  अब्बा  जैसा  बनना,
पर   अब्बा  तो  अब्बा  हैं , ना  अब्बा  जैसा  देखा।
 

कवि दीपक शर्मा
9971693131
http://kavideepaksharma.com

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