Sachchi Baat Kahi Thi Maine
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लाला सब नेता भये ,सब नेता बिजनसमैन
ऐसो कौन सो मन्त्र है सोचत हिया दिन रैन
बहुत ग़रीब परिवार से है नाता सब चिल्लात
अरबन की माया का नाही ज़रिया कोई बतात
अँखिया कुछ बोलत फिरें, और देत अधर बयान
लम्पट दुमुंही तलवार से, बचे कैसे प्रजा के प्राण
अफ़सर भये अनपढ़ सभी ,है आरक्षण की मार
और काबिल रिक्शा खींचते हुकूमत को धिक्कार
अरे मूढों को भगवान् क्यूँ हो देत फिरत वरदान
बोलन को आवत नहीं और घूमत वांचत ज्ञान
कलयुग में भईया सभी नित उलटे हो रहे काम
बस एक ज़मीन – कमीन के, हैं खूब बढ़ रहे दाम
घर की ही देहरी खा रही हँस दरवाज़ों को आज
दुल्हन की कहार लूटते राह में मिलकर लाज
सिंहासन पर बैठ के समझे उल्लू खुद को मोर
बरखा ऋतू में यूँ नहीं”दीपक”बोलत नाचत चोर
@दीपक शर्मा
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