हमे जागते रहना होगा — कवि दीपक शर्मा Sachchi Baat Kahi Thi Maine हमे जागते रहना होगा — कवि दीपक शर्मा
बहुत छोटी सी कमज़ोर यार याददाश्त हमारी
भूल जाने की बहुत जल्दी है हमको बीमारी
पन्ने तारीख के आता नहीं हमको पलटना
कहो क्या याद है अब भी हादसा-ऐ- निठारी।
किस्सा तंदूर वाला आज एक बीती बात हो गई
सिनेमा वाला वाकिया लो गुजरी रात हो गई
जेसिका कांड में तो सीधी सीधी मात हो गई
वाइस चुप्पी के खुश कातिलों की जात हो गई
कटारा हादसा एक हादसा ही बनके रह गया
क़त्ल प्रियदर्शनी का जुर्म ही बनके रह गया
हमला संसद पर हमला एक बनके रह गया
गीतिका कांड सियासी खेल ही बनके रह गया
चलो कुछ और वाकियात आज करते तरोताज़ा
कहो क्या याद है अब तुम्हे गुनाहे-वजीर राजा
चारे के जुर्म का किसने भला भोगा खामियाजा
कानून से कह रहा मुजरिम अबे भाग ले जाजा
ऐसे ही हम ये सब कल ज़िस्मखोरी भूल जायेंगे
सरकारी फाइलों में हादसे सब कहीं धूल खायेंगे
मुझे शक है कि मुजरिम सजाएं माकूल पायेंगे
ख़ुदा मेरे वतन में इन्साफ कब मक़तूल पायेंगे
रौशनी उम्मीद की अह्लेवतन अब बुझने न पाए
निजामी चाल के आगे कसम अब डिगने न पाए
शिकारी जाल में चिरिया कोई अब फसने न पाए
आवामी खौफ से मुजरिम कोई अब बचने न पाए
@ दीपक शर्मा
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