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चलो अच्छा हुआ घर आबाद हो गया तेरा ……….
मुझे मालूम था अंजाम अपनी मोहब्बत का
पर तुम थीं जो हर बात पर इंकार करती थीं
मैं कहता था न कोई आकर तुझे ले जायेगा
तुम ही थीं जो इस बात पे हर बार लड़ती थीं।
चलो अच्छा हुआ घर आबाद हो गया तेरा ……….
शिकायत भी करूँ तो किस हक़ से ये सोचता हूँ
मुबारक़बाद देने की नहीं हिम्मत मुझमे बाकी
रफ़ाक़त जिसके दम से ज़िंदा थी मर गई है अब
अदावत रखने तक की नहीं हिम्मत मुझमे बाकी।
चलो अच्छा हुआ घर आबाद हो गया तेरा ……….
हँसी भी आती है तो तुझ पर तरस भी आता है
हक़ीक़त जीती है ये दुनिया कभी एहसास नहीं
एक मैं हूँ जो तेरा साया बनकर जी रहा अब तक
एक तुम हो कि जिसे इस बात का अंदाज़ नहीं।
चलो अच्छा हुआ घर आबाद हो गया तेरा ……….
बहुत बाखूबी से तुमने अपना दामन छुड़ाया यार
पता भी न चला और हो गए लो हमेशा को जुदा
नहीं कुछ भी मुझे शिक़वा दर्द हुआ सो कह दिया
चलो जहाँ भी रहो हर हाल में तुम्हे खुश रखे ख़ुदा।
चलो अच्छा हुआ घर आबाद हो गया तेरा ……….
मेरा सवाल है गर हो मुमकिन तो ज़रूर जवाब देना
बता तेरी ज़िन्दगी में मेरी हस्ती की क्या हस्ती थी
नज़र में तेरी मैं जिस्म था या एहसास या ख्वाब कोई
क्योंकि दुनिया मेरी तेरे साये में मेरी जान बसती थी।
चलो अच्छा हुआ घर आबाद हो गया तेरा ……….
अगर मैं जिस्म था तो क्यूँ तूने मेरी रूह की बरबाद
अगर मैं रूह था तो क्यूँ मेरा ज़िस्म रूह से किया दूर
आज बेशक़ तुम बदल लो सफर या अपना हमसफ़र
मगर याद”दीपक”आएगा भरोगी जब मांग में सिन्दूर।
चलो अच्छा हुआ घर आबाद हो गया तेरा ……….
अगर मैं एहसास था तो क्यूँ गला घोंटा एहसासों का
बिना एहसास के कोई भला क्या जीवन जी सकता है
सिर्फ़ इस एहसास के कारन ही प्याला पी गई थीं मीरा
अगर अहसास न हो तो क्या कोई यूं ज़हर पी सकता है
चलो अच्छा हुआ घर आबाद हो गया तेरा ……….
अगर मै ख़्वाब था तो क्यूँ न हुई मुझे ताबीर मयस्सर
बता क्यूँ चूम कर एक ख़्वाब को फिरतुमने दिया पैकर
चलो कोई बात नहीं लेकिन हमेशा याद रखना संगदिल
तेरी आँखों से रोज़ गिरता रहूँगा मेरी जान अश्क़ बनकर
चलो अच्छा हुआ घर आबाद हो गया तेरा ……….
यक़ीन तो था मगर अब शक़ भी पुख़्ता हो गया है यार
मोहब्बत तब तलक ज़िंदा है जब तक मतलब है अपना
अपनी खुशियों की ख़ातिर यहाँ हर रिश्ता बिक जाता है
सपना सच करने को अपना लोग तोड़ देते हैं घर अपना ।
चलो अच्छा हुआ घर आबाद हो गया तेरा ……….
@ Deepak Sharma
http://kavideepaksharma,com
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